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लॉकडाउन से देश-दुनिया में चल रही परेशानियों के बीच उत्तराखंड के जंगलों से राहत भरी खबर है। प्रदेश के करीब 71 फीसदी वन क्षेत्र में इस साल वनाग्नि की घटनाएं नहीं के बराबर हुई हैं।
जिसके चलते जंगली घास की ऊंचाई जहां सामान्य से डेढ़ से दो फिट तक विकसित हो गई है। वहीं जंगलों की झाड़ियां भी छह से आठ फिट तक ऊंची नजर आ रही हैं।
जंगलों में हरियाली बढ़ने से मानव और जीव-जंतुओं के पारिस्थितिकी तंत्र में भी बड़ा बदलाव आना तय माना जा रहा है। बड़ी दिखी है। वनस्पतियों की कितनी ग्रोध हो रही है, इसको लेकर वन अनुसंधान केंद्र ने शोध की तैयारी शुरू कर दी है।
लॉकडाउन में वनाग्नि की घटनाएं तेजी से घटीं
फायर सीजन 15 फरवरी से 15 जून तक होता है। राज्य में पिछले साल फायर सीजन के दौरान आग लगने की 2158 घटनाएं हुई। इसमें करीब 2981.55 हे. जंगल जला। इस साल पांच जून तक प्रदेश में सिर्फ 109 दफा जंगल जले।
पक्षियों के उड़ने का दायरा बढ़ रहा
पक्षी विशेषज्ञ मनोज शर्मा ने बताया कि जंगल में आग नहीं लगने से वनस्पतियां बेहतर हो रही है। बताया कि इससे पक्षी भोजन करने के लिए कई जगहों पर उड़कर जा रहे है।
3 सालों में कितना जला जंगल
वर्ष घटनाएं जला जंगल (हेक्टेयर में)
2018 2150 4480.036
2019 2158 2981.55
2020 109 134.93
(नोट-वर्ष 2020 के आंकड़े पांच जून तक के हैं। )
लॉकडाउन में आग की घटनाएं नहीं हुई। मौसम भी अनुकूल होने से वनस्पतियों में ग्रोथ देखा जा रहा है। बरसात में और भी ग्रोथ देखा जाएगा। चन्द्रशेखर जोशी
डीएफओ, रामनगर वन प्रभाग
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